शैक्षणिक स्तर में सुधार लाने स्कूलों की ग्रेडिंग करने के निर्देश
जबलपुर
कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन ने आज स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों की बैठक लेकर शैक्षणिक स्तर में सुधार के लिए बोर्ड परीक्षाओं में प्रदर्शन के आधार पर शालाओं की ग्रेडिंग तय करने के निर्देश दिये हैं। उन्होनें कहा कि ग्रेडिंग के आधार पर तीन – चार श्रेणियां बनाकर उन शालाओं में जिनका रिजल्ट अपेक्षाकृत कमजोर है वहां अध्ययन और अध्यापन के कार्य पर अधिक ध्यान दिया जाये।
कलेक्टर सभाकक्ष में आयोजित इस बैठक में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के मुताबिक हायर सेकेंड्ररी परीक्षा में अपनी-अपनी शाला में प्रथम स्थान हासिल करने वाले मेधावी छात्र-छात्राओं को स्कूटी प्रदान करने के विषय पर भी चर्चा की गई तथा इस दिशा में अभी तक हुई प्रगति का व्यौरा लिया गया। बैठक में जिला पंचायत की सीईओ श्रीमती जयति सिंह, जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी, जिला परियोजना समन्वयक योगेश शर्मा तथा सभी विकासखंड शिक्षा अधिकारी एवं विकासखंड स्त्रोत समन्वयक मौजूद थे।
कलेक्टर ने बैठक में शिक्षा के स्तर में सुधार लाने तैयार किये गये एकेडमिक प्लान पर भी शिक्षा अधिकारियों से चर्चा की तथा इस पर बेहतर क्रियान्वयन के निर्देश दिये। उन्होनें कहा कि एकेडमिक प्लान ऐसा हो जिसमें शिक्षकों को भी सिलेबस की पूरी जानकारी होने के साथ-साथ यह भी पता हो कि उन्हें कब और क्या पढ़ाना है। उन्होनें सुझाव दिया कि शिक्षक सिलेबस को छोटे-छोटे टॉपिक में बांट लें। छात्रों को पढ़ाने के साथ-साथ लिखित में और मौखिक रूप में सवाल-जवाब भी करें। श्री सुमन ने कहा कि शिक्षकों को सिलेबस पर अपने संकुल के उसी विषय के शिक्षकों के साथ चर्चा और डिस्कशन भी करें। ताकि अध्यापन की उनकी क्षमता और बेहतर हो सके। उन्होनें इसके लिए संकुलवार कार्यशाला आयोजित करने का तथा कार्यशाला में निकले निष्कर्ष के आधार पर कक्षावार और विषयवार मॉडल कार्ययोजना बनाने का सुझाव भी दिया।
कलेक्टर ने शिक्षा अधिकारियों की बैठक में शतप्रतिशत बच्चों की शालाओं से मेपिंग के निर्देश दिये। उन्होंनें कहा कि बच्चों की मेपिंग का कार्य एक हफ्ते के भीतर हर हाल में पूरा कर लिया जाये। कोई भी बच्चा ऐसा न हो जो शाला जाने से वंचित रहे। श्री सुमन ने शाला त्यागी बच्चों को शाला में प्रवेश दिलाने के लिए चलाये जा रहे अभियान की समीक्षा भी की। उन्होनें कहा कि ऐसे शाला त्यागी बच्चों की सूची तैयार की जाये जो तमाम प्रयासों के बाद अभी तक स्कूल नहीं पहुंचे हैं। साथ ही इसके कारण भी बताये जाये। कलेक्टर ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि ऐसे बच्चों को वापस शाला में लाने के लिए सकारात्मक मानसिकता के साथ ईमानदार और गंभीर प्रयास किये जाये। ऐसे बच्चों को शाला में पढ़ाई का अच्छा माहौल मिलेगा तो वे खुद प्रतिदिन शाला आने में प्रेरित होंगे।
कलेक्टर ने बैठक में जर्जर हो चुके शाला भवनों की मरम्मत के लिए प्रस्ताव तैयार करने की बात भी कही। उन्होनें कहा कि ऐसे शाला भवन जिनकी तुरंत मरम्मत की आवश्यकता है, तत्काल इसका प्रस्ताव दें, ताकि सुधार या मरम्मत के कार्यों के लिए राशि प्रदान की जा सके।