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Sunday, October 12, 2025

कलेक्टर दीपक सक्सेना ने दिया भरण पोषण अधिनियम के प्रकरण में पुत्र को वयोवृद्ध माता-पिता का मकान खाली करने का आदेश.

पिता ने अनुविभागीय राजस्व अधिकारी राँझी के आदेश से व्यथित होकर कलेक्टर कोर्ट में की थी अपील.

वृद्धावस्था में माता-पिता को लड़ाई-झगड़ा, गाली-गलौच और मारपीट जैसी स्थिति का सामना करना पड़े तो यह सभ्य समाज के लिये अत्यंत चिंताजनक – कलेक्टर

जबलपुर

माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम के अंतर्गत कलेक्टर कोर्ट में दायर की गई अपील के प्रकरण में कलेक्टर दीपक सक्सेना ने फैसला देते हुये अनावेदक पुत्र को वयोवृद्ध माता-पिता की संपत्ति से अपना कब्जा दखल समाप्त कर एक माह के भीतर अन्यत्र निवास सुनिश्चित करने का आदेश दिया है। आदेश में कलेक्टर श्री सक्सेना ने कहा है कि अपीलार्थी को अपनी स्व-निर्मित संपत्ति में जीवन के अंतिम पड़ाव पर विवाद और निरर्थक लड़ाई-झगड़े से दूर रहते हुये शांतिपूर्ण जीवन जीने का पूरा अधिकार है। अपीलार्थी अपने एक पुत्र के साथ रहते हुये जो उनकी देखभाल करता है तथा इलाज और सुख-सुविधाएं उपलब्ध कराता है, यदि दूसरे पुत्र को जिससे उनके अत्यधिक गंभीर वैचारिक मतभेद हैं और आये दिन विवाद होता रहता है, अपनी स्वनिर्मित संपत्ति में साथ रखना नहीं चाहता है तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है।

कलेक्टर न्यायालय में यह अपील एसएएफ की छठवीं बटालियन से सेवानिवृत्त गणेशगंज बड़ा पत्थर राँझी निवासी प्रकाशचंद्र कश्यप ने अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) राँझी द्वारा उनके आवेदन पर दर्ज राजस्व प्रकरण में पारित किये गये आदेश से व्यथित होकर प्रस्तुत की थी। अनुविभागीय राजस्व अधिकारी न्यायालय राँझी द्वारा फरवरी 2024 को पारित इस आदेश में पुलिस थाना राँझी से अनावेदक मुकेश कश्यप और उनकी पत्नी शोभा कश्यप को निर्देशित करने कहा गया था कि वे आवेदक को शांतिपूर्वक जीवन यापन करने दें, वाद विवाद और लड़ाई झगड़ा न करें तथा उनकी दवा इलाज में मदद करें। आदेश का पालन नहीं किये जाने की स्थिति में अनावेदक के विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही करने के निर्देश भी राँझी पुलिस थाना को अनुविभागीय राजस्व अधिकारी न्यायालय द्वारा दिये गये थे।

कलेक्टर कोर्ट में प्रस्तुत अपील में सतहत्तर वर्षीय श्री प्रकाशचंद्र कश्यप ने बताया कि वे अपनी पत्नी के साथ गणेशगंज शंकर नगर बड़ा पत्थर राँझी में स्वनिर्मित दो मंजिला मकान में निवास कर रहे हैं। छठवीं बटालियन से सेवानिवृत्त होने के बाद मिल रही पेंशन से अपना एवं अपनी पत्नी का भरण पोषण कर रहे हैं तथा दोनों का इलाज नागपुर में चल रहा है। उनके दो पुत्र हैं और दोनों की शादी हो चुकी है। बड़ा पुत्र मुकेश उनके द्वारा निर्मित मकान के तल मंजिल में अपनी पत्नी के साथ निवास कर रहा है तथा व्हीकल फैक्टरी में कार्यरत छोटा पुत्र राकेश मकान के प्रथम तल पर अपनी पत्नी के साथ रह रहा है। अपीलार्थी प्रकाशचंद्र ने बताया कि मुकेश सिविल इंजीनियर है और प्रतिमाह 40 हजार रुपये कमाता है। मुकेश और उसकी पत्नी आये दिन उनसे लड़ाई झगड़ा और विवाद करते हैं, यहाँ तक की निस्तार आदि करने से भी रोकते हैं। उन्होंने अपने अपील आवेदन में स्वास्थ्य खराब होने से स्वयं के द्वारा बनाये गये मकान को अनावेदक मुकेश से खाली कराने का आग्रह करते हुये बताया कि वह असामाजिक तत्वों के साथ रहता है और मारपीट कर उनसे पेंशन के पैसे भी ले लेता है। इसकी शिकायत उन्होंने राँझी थाने में भी की है।

कलेक्टर श्री दीपक सक्सेना ने प्रकरण में दोनों पक्षों को समक्ष में विस्तार से सुनने और अनुविभागीय राजस्व अधिकारी न्यायालय राँझी द्वारा पारित आदेश पर गौर करने के बाद पाया कि प्रकाशचंद्र ने अपने आवेदन में अनुविभागीय राजस्व अधिकारी राँझी से केवल एक मात्र प्रार्थना की थी कि अनावेदकगण से उनके मकान को खाली कराया जाये, लेकिन अनुविभागीय राजस्व अधिकारी द्वारा इस पर कोई स्पष्ट आदेश नहीं दिया गया। श्री सक्सेना ने कहा कि कहा कि अपीलार्थी माता-पिता को अपनी वृद्धावस्था में अपने पुत्र और उसके परिवार के साथ लड़ाई-झगड़ा, गाली-गलौच और मारपीट जैसी स्थिति का सामना करना पड़े, यह सभ्य समाज के लिये अत्यंत चिंताजनक है। इसके लिये वयोवृद्ध माता-पिता को दोषी नहीं माना जा सकता। ऐसी स्थिति में प्रतिअपीलार्थी पुत्र जो 45 वर्ष का है एवं आत्म निर्भर है, जिसकी पत्नी भी है और एक पुत्री है, उसे माता-पिता के आश्रय स्थल से पृथक रहना चाहिये। क्योंकि उसके साथ रहने से माता-पिता के सम्मान, स्वास्थ्य और दैनिक जीवन के निर्वहन में अत्यधिक बाधाएं व्याप्त होंगी।

कलेक्टर श्री सक्सेना ने अनावेदक मुकेश द्वारा पिता की अपील को खारिज करने लिखित में दिये गये उस तर्क को भी अमान्य कर दिया, जिसमें कहा गया था कि उनके पिता द्वारा नजूल भूमि पर जब मकान बनाया जा रहा था तब प्रथम तल के निर्माण में लगने वाली निर्माण सामग्री उसके द्वारा ही क्रय की गई थी। श्री सक्सेना ने कहा कि प्रश्नाधीन संपत्ति मुख्य रूप से अपीलार्थी प्रकाशचंद्र द्वारा निर्मित संपत्ति है और इसके निर्माण में यदि उनके पुत्र द्वारा कुछ सहयोग किया गया है तो इतने वर्षों से निवासरत रहकर उसने माता-पिता की इस संपत्ति का उपयोग भी किया है।

सुंदरलाल बर्मनhttps://majholidarpan.com/
Sundar Lal barman (41 years) is the editor of MajholiDarpan.com. He has approximately 10 years of experience in the publishing and newspaper business and has been a part of the organization for the same number of years. He is responsible for our long-term vision and monitoring our Company’s performance and devising the overall business plans. Under his Dynamic leadership with a clear future vision, the company has progressed to become one of Hindi e-newspaper , with Jabalpur district.

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