जिले की आंगनवाड़ियों में बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए बचपन का त्यौहार शुरू होगा।
सागर
उक्त निर्देश कलेक्टर श्री संदीप जी आर ने महिला बाल विकास विभाग, की एजुकेशन फाउंडेशन (केईएफ) एवं अजीम जी प्रेम जी फाउंडेशन की संयुक्त समीक्षा बैठक में दिए। इस अवसर पर सीईओ जिला पंचायत श्री विवेक केवी, डीपीओ श्री भरत सिंह राजपूत, श्री सौगात बैनर्जी, तरन्नुम निशा सहित महिला बाल विकास के अधिकारी मौजूद थे।
कलेक्टर श्री संदीप जी आर ने कहा कि महिला बाल विकास के द्वारा जिले में 2633 आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित हैं जिनमें तीन वर्ष से छः वर्ष के बच्चे प्राथमिक शैक्षणिक अध्ययन कर रहे हैं। बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए बचपन का त्यौहार कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा जिसमें सर्वांगीण विकास से संबंधित अनेक गतिविधियां आयोजित होंगी। इस कार्यक्रम में अभिभावकों को जोड़ने के लिए भी कार्य किए जाएंगे। बच्चे एवं अभिभावक जब आंगनवाड़ियों से जुड़ेंगे तब आंगनवाड़ियों का संचालन भी
अच्छा होगा एवं उनमें वितरित होने वाले भोजन एवं नाश्ता की गुणवत्ता भी निरंतर बनी रहेगी।
की एजुकेशन फाउंडेशन (केईएफ) के श्री सौगात बैनर्जी ने बताया कि 3 से 6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए आनंदमय शिक्षा का परिपोषण करने वाले स्थान के रूप में आँगनवाड़ियों बचपन का त्यौहार मनाना शुरु किया जाएगा। बचपन का त्यौहार नामक एक कहानी पुस्तक के माध्यम से शिक्षा दी जाएगी जो आँगनवाड़ियों के देखभाल और प्रारंभिक शिक्षा के आनंददायक केंद्रों के रूप में जीवंत विकास को प्रदर्शित करेगी।
कलेक्टर श्री संदीप जी आर ने कहा खेल सीखने का सबसे अच्छा तरीका है और बच्चे यह बिना जाने ही सीख जाते हैं। यह उनके साथ रहता है और खासकर छोटे बच्चों के लिए, यह उनके बचपन का आनंद लेने का सबसे अच्छा तरीका है और माता-पिता के लिए भी इसमें शामिल होने का एक बेहतरीन तरीका है। हमारे आँगनवाड़ी केंद्र इसे और भी बेहतर बना सकते हैं, ताकि हर बच्चा फल-फूल सके। आँगनवाड़ी केंद्र, जो अक्सर ग्रामीण भारत की शिक्षा का आधार होते हैं, बच्चों को जुड़ाव, जिज्ञासा और सामूहिक देखभाल का एक विरल आवरण प्रदान करते रहते हैं। बाल चौपालों और बैठकों के माध्यम से, समुदायों ने प्रत्येक बच्चे की क्षमता को परिपोषित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।
अज़ीम प्रेमजी फाऊंडेशन से तरन्नुम निशा ने बताया कि फाउंडेशन द्वारा अभी तक सागर जिले में समस्त आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ प्रारंभिक शिक्षा को लेकर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए जैसे – आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का सेमिनार, मासिक अकादमिक चर्चा, बाल मेला, आदि। इस सबका सकारात्मक प्रभाव यह हुआ कि आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों के साथ खेल आधारित गतिविधियां नियमित हो रही है जिससे 3 वर्ष से 6 वर्ष के बच्चों के विकास के पांचों आयामों – भाषाई विकास, संज्ञानात्मक विकास, रचनात्मक एवं सौन्दर्यबोध विकास, शारीरिक विकास, सामाजिक एवं भावनात्मक विकास में वृद्धि हो रही है। आंगनवाड़ी केंद्रों में अभिभावकों का आना जाना बढ़ रहा है। बच्चों के सीखने के विकास में आंगनवाड़ी केंद्र का स्वरूप में बदलाव देखने मिल रहा है।