पिछले आठ साल में आत्महत्या करने वाले दिहाड़ी मजदूरों की संख्या लगभग तीन गुना हो गई है।
2021 में भारत में रिकॉर्ड 1 लाख 64 हजार से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या की। इसमें एक चौथाई संख्या दिहाड़ी मजदूरों की है और दो तिहाई लोग ऐसे हैं जिनकी आय सालाना एक लाख रुपये से कम है। आत्महत्या करने वालों में गरीबों, मजदूरों और छोटे व्यापारियों की संख्या सबसे ज्यादा है। यह वही वर्ग है जिस पर नोटबंदी, जीएसटी और तालाबंदी की मार पड़ी, जिस पर भाजपा की आर्थिक कुनीतियों की मार पड़ी, जिस पर भाजपा निर्मित महंगाई और बेरोजागरी कहर बनकर टूट रही है।