तालाब,रेतवाड़ी और वंशानुगत रोजगार पर कुठाराघात
अमर नोरिया (पत्रकार)
नरसिंहपुर
माझी समाज के लोगों के नाम से अपनी पार्टी में माझी मछुआरा प्रकोष्ठ संचालित करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने माझी समाज के हितों के साथ बार फिर बड़ा कुठाराघात किया और इस बार उसने जो किया है उसको लेकर मध्यप्रदेश के माझी समाज के लोगों के रोजी रोजगार का जो जल पर मत्स्य पालन,मत्स्याखेट का जो वंशानुगत अधिकार था उसपर संकट आ गया है और उनको जो 15 नवंबर 2022 से पहले जो अधिकार था उससे वंचित कर दिया गया है । मध्यप्रदेश में 15 नवम्बर 2022 से लागू पेसा एक्ट के तहत अब मध्यप्रदेश में तालाबों पर मत्स्य पालन आदि के अधिकार को ग्राम सभा के माध्यम से तय किया जायेगा, मध्यप्रदेश की मत्स्य पालन नीति 2008 के तहत अभी तक जिस तरह से तालाब,मत्स्य पालन और मत्स्य आखेट सम्बंधित योजनाओं में वंशानुगत मछुआरों को प्राथमिकता दी जाती थी इस कानून के आने के बाद वह प्राथमिकता अब नहीं रही है । भाजपा सरकार द्वारा इसके पूर्व भी मध्य प्रदेश में 1 जनवरी 2018 के आदेश में माझी के पर्याय नामों ढीमर,भोई,केवट, कहार, मल्लाह निषाद आदि के अनुसूचित जनजाति के जो प्रमाण पत्रधारी थे उन्हें 2005 तक ही संरक्षण प्रदान किया गया था उसके बाद उन्हें जनजाति का लाभ नहीं दिया जाने का आदेश 1 जनवरी 2018 को जारी किया था इसके पहले समाज को रेतवाड़ी के पट्टे सहित नदी कछारों की भूमि के पट्टे दिये जाने की घोषणा की गई थी उसके लाभ से वंचित किया गया, मछुआरों के 1 लाख मछुआ क्रेडिट कार्ड वर्ष 2022 में बनाये जाने की बातें की गई थी वह सब दिवास्वप्न दिखाकर आने वाले 2023 के विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा ने एक बार फिर माझी समाज के साथ यह बड़ा धोखा किया है । महत्वपूर्ण बात यह है कि मध्य प्रदेश में माझी को अनुसूचित जनजाति की सुविधाएं दिए जाने का जो मामला था वह भाजपा स्वयं अपने चुनावी जन संकल्प पत्रों ( घोषणा पत्र ) में प्रकाशित कर उसके माध्यम से माझी हितैषी के रूप में प्रचारित करके माझी वोटबैंक का उपयोग करती आई थी और उसने पूर्व गठित माझी प्रकोष्ठ जिसे बदलकर मछुआरा प्रकोष्ठ के नाम से संचालित कर मध्यप्रदेश के माझियों के वोट बैंक का पिछले कई वर्षों तक राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग किया,किंतु पेसा एक्ट के माध्यम से भाजपा ने जिस तरह से जल और तालाबों से वंशानुगत मछुआरों का जो अधिकार समाप्त किया है इसको लेकर सभी को गहन चिंतन मनन और भाजपा की कथनी और करनी पर एक बार फिर विचार करने की आवश्यकता है समय रहते हम समस्त संगठनों व सामाजिक बन्धुओ को चाहिये कि मध्यप्रदेश में जिस तरह हमें हमारे संवैधानिक हक और अधिकार से वंचित किया जा रहा है अगर हम भाजपा सरकार की चाल नहीं समझे तो धीरे धीरे अपने वंशानुगत रोजगार के साधनों से भी वंचित कर दिये जायेंगे ।।