जिला कलेक्टर जबलपुर द्वारा गरुड़ दल का गठन तो कर दिया गया, लेकिन नगर परिषद मझौली में इसका असर कहीं दिखाई नहीं दे रहा।
मझौली जबलपुर
स्थिति यह है कि मझौली नगर में कई जगहों पर दूध डेयरी का कोई वैध संचालन नहीं है, इसके बावजूद खुलेआम मनमाने ढंग से दूध बेचा जा रहा है।
स्थानीय लोगों का आरोप है
* कि इन तथाकथित “डेयरियों” से बिकने वाला दूध पूरी तरह केमिकल युक्त और मिलावटी है।
न तो यहाँ किसी प्रकार की फूड सेफ्टी जांच होती है न ही विक्रेताओं के पास कोई मान्यता या ग्रेड डिग्री।
आश्चर्य की बात यह है कि ये दूध विक्रेता अपनी मनमर्जी से रेट तय कर रहे हैं और उपभोक्ताओं को ठग रहे हैं।
ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि — आखिर इन मिलावटखोरों को संरक्षण कौन दे रहा है?
गरुड़ दल की टीमें आखिर कहाँ गायब हैं…..? और
नगर परिषद मझौली की लापरवाही का जिम्मेदार कौन है?
ग्रामीणों और नगरवासियों का कहना है कि मिलावटी दूध से बच्चों और बुजुर्गों की सेहत पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।
कई बार शिकायतें होने के बाद भी ना तो स्वास्थ्य विभाग, ना ही नगर परिषद ने अब तक कोई सख्त कार्रवाई की।
* मिलावटी दूध बेचने वालों पर तुरंत कार्रवाई हो।
* दूध की नियमित लैब जांच कराई जाए।
* दोषी अधिकारियों/कर्मचारियों पर भी कार्रवाई हो, जो अब तक चुप्पी साधे हुए हैं।
यह मुद्दा अब सीधा जनता की सेहत और प्रशासनिक मिलीभगत पर सवाल खड़े कर रहा है।