जनपद पंचायत मझौली अन्तर्गत आने वाली ग्राम पंचायत खितौला में RTI एक्ट को मज़ाक बनाकर रख दिया गया है।
मझौली जबलपुर
बीपीएल कार्डधारी आवेदक बारेलाल बर्मन ने मनरेगा के तहत नवंबर 2024 से जनवरी 2025 तक कराए गए कार्यों के मस्टर रोल और खसरा की जानकारी मांगी, लेकिन सरपंच–सचिव ने “अपूर्ण आवेदन” बताकर पल्ला झाड़ लिया।
सवाल ये उठता है कि जब आवेदन के साथ बीपीएल कार्ड भी संलग्न था, तो आखिर कौन-सा हिस्सा अपूर्ण था?
क्या ग्राम पंचायत के सचिव पारदर्शिता से बचने के लिए गुमराह कर रहे हैं? और अगर सब कुछ पारदर्शी है तो फिर मस्टर रोल और खसरे की जानकारी देने से डर किस बात का है
RTI एक्ट 2005 की धारा 7(1) साफ कहती है कि मांगी गई जानकारी 30 दिन के भीतर उपलब्ध कराई जानी चाहिए। लेकिन यहाँ खेल कुछ और है—
🔹 न जानकारी दी जा रही है
🔹 न पारदर्शिता दिखाई जा रही है
🔹 उल्टा आम जनता को गुमराह किया जा रहा है
ग्रामीणों का आरोप है कि करोड़ों की मनरेगा राशि का बंदरबांट हुआ है, और यही वजह है कि सचिव व सरपंच असल रिकॉर्ड सामने लाने से बच रहे हैं।
“क्या पंचायत स्तर पर RTI एक्ट को दबाने का नया तरीका अपनाया जा रहा है?
क्या भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए आवेदकों को ‘अपूर्ण आवेदन’ का झांसा देकर टाला जा रहा है?और सबसे अहम आखिरकार इन जिम्मेदार सचिव-सहायक सचिवों पर कार्रवाई कब होगी?”