जनता के पैसों का दुरुपयोग,जीता जागता उदाहरण है विधानसभा पाटन का नगर परिषद मझौली
मझौली
वर्तमान में नगर परिषद मझौली के पास 2-2 कार्यालय हैं । बावजूद इसके 3 कार्यालय शिक्षा विभाग की भूमि जहां पर शासकीय कन्या शाला थी उस जगह पर तीसरा कार्यालय 1,88 एक करोड़ अठ्ठासी लाख रुपए से नव निर्माण प्रारंभ किया जा रहा है । जबकि नगर परिषद मझौली के पास पहले से ही 2_2 कार्यालय हैं।
हम आपको बता दें कि नगर परिषद मझौली में नगर विकास के नाम पर नगर मझौली में 3 करोड़ रुपए के डिवाइडर रोड का भूमि पूजन शिलान्यास होने के बाद भी नगर परिषद मझौली में आज तक डिवाइडर रोड का निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ।
वही दूसरी ओर नगर परिषद मझौली के पास पहले से ही 2 कार्यालय होने पर भी तीसरे कार्यकाल का निर्माण कार्य जारी कर दिया गया।
नगर परिषद कार्यालय द्वारा जो भूमि आवंटित की गई है कॉन्प्लेक्स के लिए खसरा नंबर 376/1 भूमि है ।यह की वर्ष 1977 से नगरपालिका मझौली अधिसूचित क्षेत्र घोषित की गई थी तब से वर्ष 2002 तक पुलिस थाना एवं सहकारी समिति के बाजू से नगर परिषद कार्यालय बना हुआ है। जहां पर तहसील कार्यालय भी बना हुआ था। जहा पर नायाब तहसीलदार मझौली बैठते थे।
यह कि पुलिस थाना मझौली का कार्यालय एवं सहकारी समिति के पास नगर पालिका मझौली वर्ष 1977 से जब से नगरपालिका अधिसूचित क्षेत्र घोषित की गई है तब से यहां पर कार्यालय नगर पालिका मझौली का तथा तहसील कार्यालय भी इसी भवन में था सन 2002 तक इस तरह नगरपालिका कार्यालय एवं तहसील कार्यालय इसी भवन में दोनों कार्यालय चल रहे थे परंतु वर्ष 2002 में तहसील कार्यालय का निर्माण कार्य होने पर तहसील कार्यालय ग्राम नन्हवारा हल्का पटवारी नं 21 में चला गया तथा सन 2018 में बाजार ब्लाट मझौली में नव निर्मित बने भवन बिहारी लाल साहू शॉपिंग कंपलेक्स के प्रथम तल पर नगरपरिषद कार्यालय बनाया गया है। जहां पर ₹50,00000 लाख रुपए से अधिक की राशि खर्च करके नया कार्यालय बनाया गया है
वर्तमान में नगर परिषद मझौली के पास 2 कार्यालय हैं परंतु इसके पश्चात 3 कार्यालय शिक्षा विभाग की भूमि जहां पर शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक शाला थी उस जगह पर तीसरा कार्यालय 1,88, एक करोड़ अठ्ठासी लाख रुपए से नव निर्माण प्रारंभ किया जा रहा है । जबकि नगर पालिका मझौली के पास पहले से ही 2 कार्यालय हैं ।
चूंकि नगर परिषद की राशि जनता हित में खर्च की जाए एवं कार्यालय में ना लगाकर जनता के हितों में उपयोग में लाया जाए।
यह की 1 लाख रुपए से अधिक की राशि के जो विज्ञापन निकालने पर खर्च की गई है उस राशि की जांच होनी चाहिए । नगर परिषद कार्यालय में की जा रही व्यर्थ निर्माण कार्य की राशि एवं व्यय को रोका जाना चाहिए।