जौहर ट्रस्ट से छिनेगा जौहर शोध संस्थानसिर्फ 100 रुपए सालाना में दे दी गई थी करोड़ों की प्रॉपर्टी
लखनऊ
उत्तर प्रदेश सरकार ने सपा नेता आजम खान के जौहर ट्रस्ट से मौलाना मोहम्मद अली जौहर प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस बारे में शासन ने डीएम से रिपोर्ट तलब की है।योगी सरकार आने पर जौहर शोध संस्थान को लेकर शिकायत की गई थी, जिस पर सरकार ने एसआईटी गठित कर जांच करायी थी। एसआईटी द्वारा जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपी जा चुकी है, जिसमें खुलासा किया गया है कि मौलाना मोहम्मद अली जौहर शोध संस्थान के उद्देश्यों में उर्दू, अरबी व फारसी विषयों में उच्च शिक्षा की व्यवस्था करना एवं शोध कार्य कराना था, लेकिन आजम ने उच्च शिक्षा के स्थान पर सभी विषयों में प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा जुड़वा दिया और कैबिनेट बाई सर्कुलेशन से प्रस्ताव पास कराकर मात्र सौ रुपये सालाना की दर से लीज पर ले लिया।
आजम खुद इस ट्रस्ट के आजीवन अध्यक्ष हैं। वर्तमान में जौहर शोध संस्थान के इस भवन में आजम का रामपुर पब्लिक स्कूल संचालित है। सरकार इस लीज को खत्म कर जौहर ट्रस्ट से शोध संस्थान का भवन और जमीन वापस लेगी। इस संबंध में राजस्व विभाग के संयुक्त सचिव मनोज कुमार और राजस्व परिषद में उप भूमि व्यवस्था आयुक्त भीष्म लाल वर्मा की ओर से डीएम से विस्तृत रिपोर्ट तलब की गई है।
सिर्फ 100 रुपये सालाना में पट्टे पर दी गई करोड़ों की प्रॉपर्टी
सपा नेता आजम खां के जौहर ट्रस्ट के लिए मौलाना मोहम्मद अली जौहर शोध संस्थान लीज पर देने में अफसरों ने भी नियमों को ताक पर रख दिया था। नतीजतन, करोड़ों की प्रॉपर्टी को महज सौ रुपये सालाना के पट्टे पर दे दिया गया था। हालांकि, इस मामले में पिछले दिनों आरोपी अफसर को शासन से निलंबित किया जा चुका है।
दरअसल, सपा सरकार के कद्दावर मंत्री आजम खां ने अपने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का सरकारी शोध संस्थान अपने निजी ट्रस्ट में लीज पर ले लिया था। आरोप है कि इसके लिए कई बार नियमों को भी बदला गया। यहां तक कि शोध संस्थान के उद्देश्यों को भी सपा सरकार ने बदल दिया था। करीब 20 करोड़ रुपये की लागत से बने इस शोध संस्थान को आजम खां ने सौ रुपये प्रति वर्ष के हिसाब से 99 साल की लीज पर ले लिया था।भाजपा सरकार में सीएम ने इस मामले की एसआइटी जांच की संस्तुति की थी। साथ ही इस लीज को भी समाप्त करने की संस्तुति की थी। इस प्रकरण में पिछले दिनों संयुक्त निदेशक आरपी सिंह को निलंबित किया गया था। मालूम हो कि जिस समय यह शोध संस्थान आजम खां के ट्रस्ट को दिया गया उस समय वह रामपुर में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के पद पर तैनात थे। एसआईटी का मानना है कि इस संस्थान का भवन सीएनडीएस बना रहा था। बिना हैंडओवर किए ही यह भवन लीज पर दे दिया गया था।
शोध संस्थान के भवन में खुलवा दिया आरपीएस
बेशक, शोध संस्थान के उद्देश्यों में उर्दू, अरबी व फारसी विषयों में उच्च शिक्षा की व्यवस्था करना एवं शोध कार्य कराना था, लेकिन आजम खां ने उच्च शिक्षा के स्थान पर सभी विषयों में प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा जुड़वा दिया था और बाद में आजम खां ने इस सरकारी शोध संस्थान के भवन में रामपुर पब्लिक स्कूल खोल दिया।
ये था संस्थान का उद्देश्य
दरअसल, मौलाना मोहम्मद अली जौहर रामपुर के निवासी थे, देश भी स्वतंत्रता में उनके योगदान को देखते हुए उनके पैतृक स्थान रामपुर में मौलाना मोहम्मद अली जौहर शोध संस्थान की स्थापना की गई थी। इस शोध संस्थान का उद्देश्य अल्पंसख्यक समुदाय के लिए आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक विकास की योजना के सफल क्रियान्वयन के दृष्टिगत आवश्यकतानुसार विभिन्न प्रकार की योजनाओं के निर्माण एवं संचालन, उन्हें सफल बनाने हेतु आवश्यकतानुसार शोध कार्य के उद्देश्यों एवं कतिपय उन्नयन की पूर्ति करना था।
आजम बोले-कानून के दायरे में हुए हैं सभी काम
भले ही एसआईटी ने शासन को सौंपी रिपोर्ट में आजम और उनके ट्रस्ट को कठघरे में खड़ा किया है लेकिन, रामपुर में जिस वक्त एसआईटी जांच को आयी थी, तब पूर्व मंत्री आजम खां का कहना था कि हमने अपने लिए कुछ नहीं किया है, जो भी कार्य कराए हैं वह समाज के लिए हैं। सभी कार्य सरकार की अनुमति से कानून में दायरे में रहकर कराए गए हैं। प्रदेश सरकार अगर समाज का अहित करना चाहती है तो इस पर मैं कुछ नहीं कह सकता।
99 साल तक नवीनीकरण
आजम खां ने यह सब अपने विभाग अल्पसंख्यक कल्याण में मंत्री रहने के दौरान किया। आजम ने इसे मात्र 100 रुपये वार्षिक की दर से 33 साल के लिए लीज पर लिया। यह लीज 33-33 साल के लिए दो बार बढ़ाई जा सकती है। यह वही ट्रस्ट है जिसमें वह खुद आजीवन अध्यक्ष, उनकी पत्नी डॉ. तजीन फातिमा सचिव व बड़े बेटे मो. अदीब आजम खां सदस्य हैं। वर्तमान में चमरौआ विधायक नसीर अहमद खां संयुक्त सचिव हैं।