माझी वोटबैंक को साधने की कवायद में अभी कुछ और नियुक्ति हो सकती हैं
अमर नोरिया ( पत्रकार )
नरसिंहपुर
मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार द्वारा निकाले 1 जनवरी 2018 के आदेश से नाराज मध्यप्रदेश के माझी समाज ने विधानसभा चुनाव 2018 में जिस तरह से भाजपा के खिलाफ जनादेश दिया था,उससे सबक लेते हुए काफी लंबे समय बाद मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने मछुआ कल्याण बोर्ड में अध्यक्ष की नियुक्ति कर कैबिनेट मंत्री का दर्जा समाज को सौंपा है । महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के द्वारा माझी के पर्याय नामों को आरक्षण दिये जाने सहित उनके वंशानुगत रोजगार के माध्यम तालाबों के पट्टे, रेतबाड़ी के पट्टे को अपने चुनावी घोषणा पत्रों में अंकित करने के साथ ही माझी समाज की महापंचायत में खुले मंच से भाजपा सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान सहित अन्य मंत्रियों और महत्वपूर्ण नेताओं ने जिस तरह की घोषणाएं और वायदे किये थे उन घोषणाओं और वायदों को लेकर अब तक जमीनी स्तर पर जितना कुछ लाभ दूरदराज के गांवों व नदी तटों पर रहने वाले माझी समाज के लोगों को मिलना चाहिये था वह नहीं मिला है । नतीजा यह हुआ है कि मध्यप्रदेश में माझी समाज ने भाजपा सरकार और नेताओं की वादाखिलाफी के चलते पिछले विधानसभा चुनाव 2018 के बाद स्थानीय नगरीय निकाय चुनाव और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भाजपा का खुलकर विरोध किया । प्रदेश का माझी समाज भाजपा के खिलाफ जा रहा है और उसकी वादाखिलाफी को लेकर भाजपा सरकार के अनेक महत्वपूर्ण मंत्रियों और नेताओं के विधानसभा क्षेत्रों में मोर्चा खोले हुए है उससे आने वाले 2023 के चुनाव में भाजपा की राह आसान नहीं है और यही कुछ वजह है कि भाजपा द्वारा माझी समाज के वोट बैंक को साधने की कवायद के चलते लंबे समय बाद चुनाव के 6-7 महीने शेष रहने पर मछुआ कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में समाज के व्यक्ति को जिम्मेदारी सौंपी गई है । गौर करने वाली बात यह भी है कि इसके पूर्व गठित व नियुक्त मछुआ कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष व सदस्यों द्वारा जो प्रस्ताव मध्यप्रदेश सरकार को दिये पर गए थे उन प्रस्तावों सहित मध्यप्रदेश की मत्स्य पालन नीति 2008 पर भाजपा सरकार ने कितना कुछ अमल किया है इस पर भी माझी समाज लगातार अनेक मंचों और अपनी सामाजिक बैठकों में सवाल उठाता रहा है । मध्यप्रदेश में माझी समाज महत्वपूर्ण माझी बहुल विधानसभा क्षेत्र में 2018 जैसे ही अपनी चुनावी तैयारी में लगा हुआ है ,ऐसे चुनावी दौर में भाजपा समर्थक माझी समाज का नेतृत्व करने वाले माझी आरक्षण, तालाबों के पट्टे, रेतबाड़ी के पट्टे सहित कुछ समय पूर्व मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत स्वीकृत 100 करोड़ रुपयों सहित मछुआरों के क्रेडिट कार्ड को लेकर समाज के बीच जाकर भाजपा को विधानसभा चुनाव 2023 में कितना क्या लाभ दिला पाएंगे यह आने वाले समय में समाज को तो महत्वपूर्ण होगा ही भाजपा सरकार के मंत्रियों व उनके नेताओं के विधानसभा क्षेत्रों में भी उनका राजनीतिक भविष्य तय करेगा और यही कुछ वजह है कि माझी प्रकरण सहित मछुआरों की प्रमुख मांगों व समस्याओं को लेकर इतना सब कुछ प्रदेश में लंबे समय से होने के बाद प्रदेश के मुखिया व प्रदेश सरकार के मंत्री जिस तरह से माझी समाज के अलग अलग प्रतिनिधि मंडल से मिल रहे हैं उसको लेकर आनेवाले विधानसभा चुनाव में माझी समाज अनेक विधानसभा क्षेत्रों में जयस व अन्य महत्वपूर्ण संगठनों के साथ मिलकर अपने संवैधानिक हक और अधिकार सहित अपने रोजगार को लेकर अपनी वोटबैंक की ताकत वर्ष 2018 जैसे ही दिखाने तैयार बैठा है।