मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले से लगभग 45 किलोमीटर दूर स्थित मझौली नगर में स्थित भगवान विष्णु के वराह अवतार का यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि अपने ऐतिहासिक, स्थापत्य और रहस्यमयी कथाओं के लिए भी प्रसिद्ध है।
मझौली जबलपुर
तालाब से मिली थी मूर्ति, धीरे-धीरे बड़ा होता गया आकार
इस मंदिर से जुड़ी एक प्राचीन किवदंती के अनुसार, 11वीं सदी में एक युवक पास के तालाब में मछली पकड़ रहा था, तभी उसे एक छोटी सी मूर्ति प्राप्त हुई। यह मूर्ति भगवान विष्णु के वराह अवतार की थी। आश्चर्य की बात यह है कि समय के साथ यह मूर्ति अपने आप बड़ी होती चली गई और आज इसका आकार विशाल और भव्य हो चुका है। श्रद्धालु इसे ईश्वरीय चमत्कार मानते हैं और यह मूर्ति आज हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बनी हुई है।
कल्चुरी कालीन निर्माण, पुरातत्व विभाग के संरक्षण में
इस मंदिर का निर्माण कल्चुरी कालीन काल में हुआ माना जाता है। मंदिर का ढांचा काले पत्थरों से बेहद दृढ़ और कलात्मक शैली में निर्मित है। प्राचीन काल की वास्तुकला का यह अद्भुत उदाहरण अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) के संरक्षण में है और इसकी देखरेख तथा रखरखाव की जिम्मेदारी अब विभाग द्वारा की जा रही है।
🌍विश्वभर में प्रसिद्ध, धार्मिक पर्यटन का केंद्र
विष्णु वराह मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि यह स्थान इतिहास, कला और आध्यात्म का संगम है। देश-विदेश से श्रद्धालु और पर्यटक यहां दर्शन करने आते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु बताते हैं कि यह स्थान उन्हें आंतरिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है।
* 11वीं सदी की कल्चुरीकालीन मूर्ति
* तालाब से प्राप्त होकर स्वयं बढ़ी मूर्ति
* दुर्लभ वराह अवतार की विशाल प्रतिमा
* भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में
* काले पत्थरों से बना भव्य मंदिर
यह मंदिर पूरे वर्ष खुला रहता है, लेकिन नवरात्रि, रामनवमी, वराह जयंती जैसे पर्वों पर यहां विशेष पूजा और उत्सव का आयोजन होता है, जिसमें दूर-दराज से श्रद्धालु बड़ी संख्या में भाग लेते हैं।
-मझौली का विष्णु वराह मंदिर न केवल धार्मिक विश्वास का प्रतीक है, बल्कि यह मध्यप्रदेश की #ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का अनमोल हिस्सा भी है। अगर आप आध्यात्मिक अनुभूति, स्थापत्य कला और रहस्यमयी इतिहास का अनुभव करना चाहते हैं, तो यह स्थान निश्चित रूप से आपकी यात्रा सूची में होना चाहिए।