ग्राम भोरदा में करीब एक हजार एकड़ में लगी फसलों पर ड्रोन से नैनो तरल यूरिया का छिड़काव
जबलपुर, 03 सितम्बर 2022
अमृत वर्षा परियोजना अंतर्गत आज पाटन तहसील के ग्राम भोरदा में करीब एक हजार एकड़ में लगी धान और सिंघाड़ा की फसल पर ड्रोन से नैनो तरल यूरिया का छिड़काव किया गया।
कृषि क्षेत्र में ड्रोन के माध्यमें से नैनो यूरिया छिडकाव की अभिनव पहल की शुरुआत की गई I इस तरह वृहद् स्तर पर ड्रोन के माध्यम से नैनो यूरिया छिडकाव तकनीक का उपयोग करने में जबलपुर जिला प्रदेश का प्रथम जिला बना हैI इस अवसर पर विधायक श्री अजय विश्नोई, कलेक्टर डॉ इलैयाराजा टी, क्षेत्र के जन प्रतिनिधि तथा कृषि, उद्यानिकी और कृषि से संबद्ध विभागों के अधिकारी भी मौजूद थे।
खेती में तकनीक के उपयोग के प्रति किसानो ने दिखाई दिलचस्पी
जबलपुर जिले के भोरदा ग्राम से कृषि वैज्ञानिको की देखरेख में तरल नैनो यूरिया के छिड़काव का नवाचार किया गया। ई-गवर्नेंस, इफ्को, तथा कृषि कल्याण विभाग के संयुक्त प्रयास से किसानों को कृषि कार्य में ड्रोन सहित उन्नत तकनीक के उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया गया। वृहद् स्तर पर यह अभिनव पहल करने वाला जबलपुर प्रदेश का पहला जिला है। वहीं ई-गवर्नेंस तथा इफ्को द्वारा संयुक्त रूप से किया गया यह प्रयास पूरे प्रदेश में एक अभिनव पहल है । आगे चलकर कृषकों को खेती में उन्नत तकनीक का उपयोग कर कृषि क्षेत्र में कम लागत और बेहतर उत्पादन करने में ये पहल सहायक साबित होगी।
इस अवसर पर विधायक श्री विश्नोई ने कहा कि नई तकनीकी के आने पर लोगों में शुरूआती दौर पर यह संशय का भाव होता है कि पता नहीं इसका परिणाम क्या होगा। उन्होंने कहा कि कृषि क्रांति के दौरान जब कृषि कार्य के लिए ट्रैक्टर का उपयोग किया गया तब किसान परंपरागत रूप से की जाने वाली बैलों से ही खेती को ही बेहतर समझ रहे थे। समय के साथ कृषि कार्य में ट्रैक्टर का उपयोग बढ़ा और इसमें लागत का जो अंतर आया वह सहज महसूस हुआ। इसी प्रकार नवीन कृषि क्रांति में नैनो यूरिया का प्रयोग ड्रोन के माध्यम से करने से किसानों में यह भाव स्वभाविक है। किन्तु लागत की दृष्टि से यूरिया के छिड़काव से यह कई गुना लाभदायी है। उन्होंने कहा कि यूरिया को लाने में जो लागत आती है उससे कम लागत में नैनो यूरिया को आसानी से लाया जा सकता है इसमें कम लागत पर ज्यादा उत्पादन की संभावनायें हैं। श्री विश्नोई ने किसानों को प्रेरित करते हुये बोरलॉग इस्टीट्यूट के बारे में बताया। कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा ने भी किसानों को संबोधित करते हुए नैनो यूरिया के उपयोग के बारे में बताया और कहा कि यह कम लागत पर अधिक उत्पादन के साथ पर्यावरण संरक्षण करने की दिशा में एक नया कदम है। कृषि में तकनीक के उपयोग से निश्चित रूप से समय,लागत व संसाधनों की बचत होती है साथ ही उत्पादकता में वृद्धि होने के साथ साथ रसायनों के अधिक उपयोग से होने वाले दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है I
इफको के मुख्य क्षेत्र प्रबंधक श्री राजेश मिश्रा ने बताया कि भविष्य की खेती नैनो तथा जल विलेय उर्वरक आधारित होगी जिससे किसान कम लागत में ज्यादा उत्पादन प्राप्त कर सकेंगे एवं डी.ए.पी,यूरिया उर्वरकों पर निर्भरता कम होगी I जिससे भूमि की उर्वराशक्ति सुरक्षित रहेगी तथा होने वाले मृदा एवं वायु प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी । उल्लेखनीय है कि देश में तरल नैनो यूरिया का उत्पादन केवल इफको द्वारा ही किया जाता है। नैनो तरल यूरिया का बेहतर विकल्प है, इसके इस्तेमाल से न केवल कृषि की लागत में कमी आयेगी बल्कि इससे उत्पादकता में भी वृद्धि होगी।
जबलपुर प्रदेश में नैनो तरल यूरिया का अधिकतम उपयोग करने वाला जिला है और देश में जबलपुर को इस मामले में आठवां स्थान प्राप्त है। विगत वर्ष प्रदेश में नैनो तरल यूरिया की 1.64 लाख बोतल की बिक्री हुई थी। जिसमें अकेले जबलपुर में एक लाख नैनो यूरिया के बोतल का विक्रय हुआ था। एक बोतल में पांच सौ एमएल नैनो यूरिया रहता है जो एक एकड़ के लिए पर्याप्त है।
इस संबंध में उन्होंने कि यूरिया के एक दाना के 55 हजार टुकड़ों को तोड़कर एक नैनो पार्टिकल बनाया जाता है, ये इतने बारीक होते हैं कि पौधे आसानी से इन्हें अवशोषित कर लेते हैं। नैनो यूरिया एक विशेष टेक्नोलॉजी के द्वारा ही बनाया जाता है। जिसका पेंटेंट दुनिया भर में केवल इफको के पास है। नैनो यूरिया पौधे के अंदर पार्टिकल और आयन के रूप में रहता है। चूंकि नैनो यूरिया तीन लेयर पॉलीमर कोटेड रहते हैं, जिसके कारण यह आसानी से नही टूटते है। नैनो पार्टिकल पौधे के सेल वैक्यूम में 20 दिन तक पड़े रहते हैं और जब पौधों को इसकी आवश्यकता होती है वे इसे अपने आप ले लेते हैं। जबकि किसान यूरिया का ओव्हर डोज देते हैं, पौधे यूरिया का मात्र 25 से 30 प्रतिशत ही उपयोग कर पाते हैं और बाकी जमीन के अंदर या गैस बनकर प्रदूषण का कारण बनते हैं। इस दौरान उप संचालक एस.के.निगम, एसडीएम पाटन शाहिद खान,जिला प्रबंधक ई-गवर्नेंस चित्रांशु त्रिपाठी,इफको के मुख्य प्रबंधक राजेश कुमार मिश्रा,तहसीलदार पाटन प्रमोद चतुर्वेदी व क्षेत्रीय कृषक उपस्थित रहे।