फसलों में पोषक तत्वों की पूर्ति के लिये वैकल्पिक उर्वरकों का करें इस्तेमाल.
जबलपुर
वर्तमान समय खेती के खरीफ सीजन का चल रहा है किंतु बहुत ही जल्द रबी सीजन शुरू होने वाला है। जिसमें किसान भाई मटर, गेहू, चना, सरसों, मसूर इत्यादि की खेती की तैयारी करने लगे हैं। जिसके लिए उन्हें उर्वरकों की आवश्यकता होगी। इसी को देखते हुए उपसंचालक कृषि डॉ एस के निगम और अनुविभागीय कृषि अधिकारी डॉक्टर इंदिरा त्रिपाठी, सहायक संचालक कृषि अमित पांडे, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी श्रीकांत यादव एवं मेघा अग्रवाल ने संयुक्त रूप से डबल लॉक केंद्र पाटन एवं शहपुरा का निरीक्षण किया।
निरीक्षण के दौरान उपसंचालक कृषि ने उर्वरक की उपलब्धता की जांच की साथ ही मौके पर मौजूद किसानों को यूरिया और डी ए पी की अत्यधिक इस्तेमाल की बजाय फसलों को आवश्यक सभी पोषक तत्व की पूर्ति के लिये वैकल्पिक उर्वरकों उपयोग करने की सलाह दी ।
उप संचालक कृषि ने बताया कि किसान अपनी फसलों में सिर्फ यूरिया और डी ए पी का ही उपयोग करते हैं, जबकि फसल अनुसार इन उर्वरकों के विभिन्न विकल्पों के उपयोग की उन्हें सलाह दी जाती है, जिससे लागत कम होने के साथ साथ फसलों को नाइट्रोजन, फास्फोरस के साथ दूसरे सूक्ष्म पोषक तत्व भी उपलब्ध हों । सहायक संचालक कृषि अमित पांडे ने किसान को मृदा परीक्षण के परिणाम के अनुसार उर्वरक प्रयोग कराने की सलाह दी। जिससे किसानों को लगायी गयी फसल की अनुशंसित मात्रा का पता लग सके और उसके मुताबिक उर्वरक का उपयोग करें। सहायक संचालक कृषि ने बताया कि किसान डी ए पी के अन्य विकल्प जैसे एन पी के (12:32:16), एस एस पी, एन पी के (20:20:00:13) इत्यादि का उपयोग कर सकते हैं। इन वैकल्पिक उपयोग से मुख्य पोषक तत्वों के साथ फसलों को सूक्ष्म पोषक तत्व भी उपलब्ध होंगें।
अनुविभागीय कृषि अधिकारी पाटन डा इंदिरा त्रिपाठी ने किसानों से अपने खेत के थोड़े भाग में प्राकृतिक खेती को भी अपनाने की अपील की । उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती से जहाँ भूमि की दशा भी अच्छी होगी साथ साथ रासायनिक उर्वरकों के मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को भी रोका जा सकता है।