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Friday, June 27, 2025

प्राकृतिक खेती अपनाओ – धरती, पानी, गाय, पर्यावरण और जन और पशु स्वास्थ्य को बचाओ – राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत

प्राकृतिक खेती के प्रोत्साहन के लिए मप्र सरकार बनाएगी योजना – मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव

प्राकृतिक खेती पर चौपाल का अभूतपूर्व आयोजन, राज्यपाल श्री देवव्रत ने मंत्री राकेश सिंह के प्रयास की सराहना की

खचाखच भरे सभागार के बाहर भी बड़ी संख्या में किसानो ने पूरे कार्यक्रम को सुना

जबलपुर

गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा धरती, पानी, गाय, पर्यावरण और जन और पशु स्वास्थ्य को बचाना है तो प्राकृतिक खेती को अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि भावी पीढ़ियों को बचाने के लिये जहर मुक्त खेती की ओर बढ़ना समय की मांग है। “एक चौपाल-प्राकृतिक खेती के नाम” कार्यक्रम में राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने बतौर मुख्य वक्ता यह बात जिले के किसानों का आह्वान करते हुए मानस भवन सभागार राइट टाउन जबलपुर में कही।

लोक निर्माण मंत्री श्री राकेश सिंह के आह्वान पर आयोजित “एक चौपाल-प्राकृतिक खेती के नाम” कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, विशिष्ट अतिथि मप्र के किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री एदल सिंह कंसाना एवं जबलपुर के सभी जनप्रतिनिधि शामिल हुए।

विशुद्ध ग्रामीण परिवेश से सजे सभागार की कुर्सियां भरने के बाद जमीन पर बैठकर और सभागार के बाहर लगी लाइव स्क्रीन पर बड़ी संख्या में किसानों कार्यक्रम को देखा और चौपाल में सहभागिता की। प्रातः 11 बजे कार्यक्रम स्थल पहुंचे किसान कार्यक्रम की समाप्ति तक कार्यक्रम स्थल में उपस्थित थे।

राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने अपने संबोधन में कहा आज जबलपुर के किसानो के बीच आने का जो अवसर मुझे मिला है इसके लिए मप्र के लोक निर्माण मंत्री श्री राकेश सिंह का आभार व्यक्त करता हूं क्योंकि कृषि जैसा विभाग इनके पास नही है इसके बाद भी गुजरात प्रवास के दौरान प्राकृतिक खेती पर इन्होने मुझसे घंटों बात की, इसके बाद भी लगातार उन्होंने मेरे से संपर्क किया और हर बार कहा प्रकृति और जीवन को बचाने के लिए प्राकृतिक खेती पर एक कार्यक्रम जबलपुर में करने की बात की उनकी इसी सोच के कारण मैं आपके बीच प्राकृतिक खेती पर बात करने आया हूं।

60 वर्ष पहले तक जिन बीमारियों का नाम नहीं सुना, आज उनसे बच्चे हो रहे ग्रसित –

राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत ने कहा आज खेती में रसायनों, यूरिया, कीटनाशक आदि को अत्यधिक प्रयोग किया जा रहा है। फल-सब्जियों, दूध आदि के जरिए इस मीठे जहर का असर लोगों की सेहत को चौपट कर रहा है। आज से 60 वर्ष पहले तक हमने हार्ट अटैक, मधुमेह, किडनी फेल, घुटना प्रत्यारोपण जैसी बीमारी के बारे में नहीं सुना था पर अत्यधिक चिंता की बात है कि छोटे छोटे बच्चे जो किसी प्रकार का नशा भी नही करते है, उन्हे इन बीमारियों ने घेर लिया है जो अब मृत्यु का कारण भी बन रही है, इसके कारणों के बारे में गंभीरता से सोचना होगा। इसके कारणों में सबसे प्रमुख कारण हमारा खान पान ही है हम जो जहर रूपी केमकिल को खा रहे है यह उन बीमारियों का प्रमुख कारण है।

आज हमारी फसलें पूरी तरह उर्वरकों पर निर्भर हो गई –

राज्यपाल देवव्रत ने कहा ‘’कीटनाशकों के दशकों के दुरुपयोग के कारण मिट्टी की उर्वरता सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है।‘’ ‘’कोई भी मिट्टी जिसमें कार्बनिक कार्बन की मात्रा 0.5 प्रतिशत से कम है, बंजर है। ‘हरित क्रांति’ से पहले, हमारी मिट्टी में कार्बनिक कार्बन की मात्रा 2-2.5 प्रतिशत थी; अब यह 0.2 से 0.3 प्रतिशत है। इसलिए, हमारी मिट्टी बंजर से भी ज्यादा है। हमारी खाद्य फसलें मिट्टी से बहुत कम पोषक तत्व प्राप्त कर रही हैं और पूरी तरह से उर्वरकों पर निर्भर हैं।‘’ भारत सरकार वर्तमान में यूरिया और डीएपी सब्सिडी पर सालाना 1.25 लाख करोड़ रुपये खर्च करती है। और भारत के लगभग 83 प्रतिशत किसान कम जमीन वाले हैं, जो उत्पादन की अतिरिक्त लागत भी वहन नहीं कर सकते है।

एक घटना के बाद मैने रासायनिक खेती छोड़ प्राकृतिक खेती को चुना –

आचार्य देवव्रत ने एक घटना का उल्लेख करते हुए बताया हरियाणा के गुरुकुल कुरुक्षेत्र में देश के 14 प्रांतों के बच्चे वहीं रहकर अध्ययन करते हैं। मैं वहां 35 वर्षों तक प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत रहा हूं। इसी गुरुकुल क्षेत्र के पास ही करीब 180 एकड़ का कृषि फार्म है। रासायनिक खेती से उपजे खाद्यान्नों से विद्यार्थियों को भोजन कराया जाता था। एक दिन जब मैं श्रमिकों से पेस्टिसाइट (कीटनाशक) डलवा रहा था, तभी एक मजदूर छिड़काव करते समय बेहोश होकर गिर पड़ा। उसे अस्पताल ले जाया गया और दो-तीन दिन के इलाज के बाद जीवन बचा। मेरे मन में बात यह आई कि सिर्फ कीटनाशक के छिड़काव करते समय यह जान तक ले सकता है। यह जहरीला अनाज साग-सब्जी मैं अपने बच्चों को खिला रहा हूं। ऐसे में इनका भविष्य क्या होगा और इसका बच्चों पर क्या असर पड़ेगा। इस घटना ने मुझे उद्वेलित कर दिया और मैंने इस जहर से दूर होने के उपायों पर सोचना प्रारंभ किया।

रासायनिक और जैविक खेती से होती है ग्लोबल वार्मिग –

रासायनिक खेती वह खेती है जो डीएपी, पेस्टिसाइड डालकर की जाती है। इससे एक समय के बाद भूमि में कुछ पैदा नहीं होगा, न भूमि की उर्वरता रहेगी न ही हम स्वस्थ रहेंगे जबकि जैविक खेती में खर्च कम नहीं होता और उत्पादन कम होता है। इसमें वर्मीकंपोस्ट बनाने वाला केंचुआ विदेश से आयात होते हैं। उत्पादन पहले दो तीन साल कम होता है। जैविक खेती से मीथेन गैस पैदा होती है। यह भी कार्बन डाइआक्साइड से 22 गुणा ज्यादा खतरनाक है। तीस-चालीस साल से जैविक खेती की बात की जा रही है लेकिन यह अभी तक किसानों में लोकप्रिय नहीं हुई। ये दोनों खेती ग्लोबल वार्मिंग को जन्म देती हैं।

प्राकृतिक खेती आसान और किफायती है –

आचार्य देवव्रत ने बताया कि प्राकृतिक खेती बहुत ही आसान और किफायती है इससे जमीन में ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा में इजाफा होता है, प्राकृतिक खेती ग्लोबल वार्मिंग को खत्म करने का काम करती है। इस खेती में पानी की खपत 50 प्रतिशत कम होती है और भूमिगत जल स्तर भी बढ़ता है। इससे भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। इससे उत्पन्न खाद्य पदार्थ खाने से हम स्वस्थ रहेंगे और बीमारियों से बचेंगे साथ हो साथ हमे इसकी उपज का अच्छा दाम भी मिलेगा और भारत सरकार यूरिया डीएपी पर सब्सिडी देती है वह लाखों-करोड़़ों रुपए भी बचेगा।

गौ माता का दूध हमारे लिए और उसका गोबर और गौ मूत्र खेती भूमि के अमृत समान –

गुजरात के राज्‍यपाल ने कहा कि गौ माता का दूध तो हमारे लिए अमृत है ही और उनका गोबर और गोमूत्र खेती भूमि के लिए अमृत है। रिसर्च की बाद पता चला भारतीय नस्ल की साहीवाल गाय का गोबर और गोमूत्र के लिए वरदान है। हमारे देश में 45 ब्रीड की देशी गाय है और देशी गाय के 1 ग्राम गोबर में 300से 500 करोड़ सूक्ष्म जीवाणु होते है साथ ही गोमूत्र खनिज का भंडार है जो बीमारी को जड़ से खत्म करता है। निमाटोद बीमारी का इलाज नहीं है। इसका इलाज देशी गौमाता के गोमूत्र में मिलता है।

मैं शिक्षक हूं, गुरु दक्षिणा में मुझे प्राकृतिक खेती करने का दें आश्वासन –

राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने किसानों से कहा कि मैं एक शिक्षक हूं और आपके बीच प्राकृतिक खेती के लाभ के बारे में जो बताया उसके लिए आपसे गुरु दक्षिणा के रूप में चाहता हूं कि आप अपने अपने खेत में कम से कम स्वयं के परिवार के लिए ही सही पर प्राकृतिक खेती की शुरुआत करेंगे। श्री देवव्रत के आह्वान पर सभी किसानों ने हाथ उठाकर सहमति दी।

प्राकृतिक और रासायनिक खेती से उत्‍पादित फसलों के उपार्जन के लिए मंडियों में होगी दो तरह की व्‍यवस्‍था – मुख्‍यमंत्री डॉ. यादव

मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्राकृतिक खेती के नाम एक चौपाल कार्यक्रम को अद्भुत व प्रेरणादायी बताकर कहा कि जिस प्रकार नमस्‍कार का असली महत्‍व कोविड के बाद आया, ठीक इसी प्रकार प्राकृतिक खेती का विचार रासायनिक खेती के दुष्‍परिणामों के बाद आ रहा है।

मुख्‍यमंत्री ने कहा कि उन्होंने स्‍वयं खेती की है, जिसमें रासायनिक खादों की आदत नहीं थी। लेकिन पश्‍चिम आधारित सोच के कारण कृषि में रासायनिक खाद का उपयोग बढ़ा। भारतीय ज्ञान के प्रति बढ़ते रूझान को देखते हुए गौ-पालन के लिए गौशाला बनाये जा रहे हैं, जिसके उत्‍पाद से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिलेगा।

मुख्‍यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्‍यप्रदेश में प्राकृतिक खेती की बड़ी संभावना है। प्रदेश में प्राकृतिक खेती की ओर रूझान बढ़ रहा है। उन्‍होंने कृषि मंत्री से कहा कि प्राकृतिक खेती के प्रोत्‍साहन के लिए योजनाएं बनायें, वे निश्चित रूप से इसे लागू करेंगे। इसके साथ ही उन्‍होंने प्राकृतिक खेती और रासायनिक खेती से उत्‍पादित फसलों के उपार्जन के लिए मंडियों में दो तरह की व्‍यवस्‍था बनाने की घोषणा की, ताकि उत्‍पादित फसलों के उपभोग में कठिनाई न आये।

डॉ. यादव ने गौ-पालन व दूध उत्‍पादन के संबंध में कहा कि मध्‍यप्रदेश में दुग्‍ध उत्‍पादन अभी 9 प्रतिशत है, इसे 25 प्रतिशत तक ले जायेंगे। साथ ही कहा कि फैट के आधार पर दूध खरीदने की व्‍यवस्‍था है, लेकिन भैंस के दूध में ही ज्‍यादा फैट मिलता है। भैंस के दूध को अधिक लाभदायक बताकर देशी गाय के दूध को महत्वहीन बताने का षडयंत्र रचा गया। उन्‍होंने गाय के दूध के उपयोग के लिए प्रोत्‍साहित किया, ताकि जन सामान्‍य का स्‍वास्‍थ्‍य बेहतर रहे।

मुख्‍यमंत्री ने प्राकृतिक खेती के नाम एक चौपाल कार्यक्रम के मुख्‍य वक्‍ता गुजरात के राज्‍यपाल आचार्य देवव्रत का हार्दिक स्‍वागत व आभार व्‍यक्‍त किया और कहा कि आचार्य देवव्रत ने अत्यंत सरलता से प्राकृतिक खेती के विषय को समझाया है। प्राकृतिक खेती के लिए गाय के गोबर से बने जीवामृत का उपयोग कर कृषि उत्‍पाद को बढ़ा सकते हैं, साथ ही धरती के स्‍वास्‍थ्‍य को भी सुरक्षित किया जा सकता है।

प्राकृतिक खेती का उल्लेख हमारे ग्रंथों में मिलता है:- श्री राकेश सिंह

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लोक निर्माण मंत्री श्री राकेश सिंह ने कहा हमारा देश हमेशा सुजलाम सुफलाम रहा है। पंच महाभूतो के महत्व को हमारे ऋषि मुनि और पूर्वज जानते थे हजारों वर्षो पूर्व के ग्रंथो में हमारी कृषि परंपरा का उल्लेख मिलता है। ऋषि पाराशर, ऋषि वराहमिहिर और ऋषि सूर्यपाल भारत की पारंपरिक कृषि और ज्योतिष परंपरा के विद्वान रहे हैं। इन्होंने प्रकृति, कृषि, ऋतुचक्र, भूमि की उर्वरता, और प्राकृतिक जीवनशैली पर महत्वपूर्ण बातें कही हैं। ऋषि पाराशर ने अपने ग्रंथ कृषि पाराशर, ऋषि वराह मिहिर ने व्रह्णसंहिता, ऋषि सूर्यपाल ने अपने रचित ग्रंथ में कृषि की विधियों को बताया है।

श्री सिंह ने कहा कि हम जिस तरह अन्न, फल या अन्य कृषि उत्पादों का उपभोग कर रहे है वह किसी भी तरह से हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी नही है, विभिन्न अध्यन और शोध के बाद यह पाया कि आज खेती के लिए हमारे किसान रसायनों पर निर्भर हो रहे है जिससे न केवल भूमि की उर्वरकता कम हो रही बल्कि लोगो की सेहत पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ रहा है, तब मन में विचार आया है हमारे क्षेत्र के किसानों को रसायनिक खेती से होने वाले नुकसान की जानकारी होना चाहिए साथ ही विकल्प के तौर पर क्या किया जा सकता है प्रवास के दौरान मेरी भेट गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत से हुई उन्होंने रसायनिक खेती के विकल्प के रूप ने प्राकृतिक खेती के लाभ के बारे में बताया और तब तय किया कि जबलपुर में एक कार्यक्रम का आयोजन किया जाए, जिसमे किसानों के किए प्राकृतिक खेती की जानकारी दी जाए और इसके लिए राज्यपाल आचार्य देवव्रत से जबलपुर आने का आग्रह किया जिस पर उन्होंने सहमति दी।

श्री सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लाल किले के प्राचीर से प्राकृतिक खेती के बढ़ावे की बात कही थी। हमारे प्रधानमंत्री को किसानों की बहुत चिंता है। अगर सब मिलकर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने हेतु जनजागरण करेंगे तो देश के लिए और आने वाली पीढ़ियों के लिए रास्ता निकलेगा। कार्यक्रम को प्रदेश के कृषि मंत्री श्री एदल सिंह कंसाना ने भी संबोधित करते हुए इस आयोजन की बधाई दी।

जिले के किसानों ने सुनाए अनुभव –

चौपाल कार्यक्रम में जबलपुर में प्राकृतिक खेती करने वाले श्री विनय सिंह, श्री राकेश पहाड़िया, श्री धनंजय काछी एवं डॉ लोकेंद्र यादव द्वारा प्राकृतिक खेती के लाभ से जुड़े अनुभव को साझा किया।

स्वस्थिवचन और शंखनाद से हुआ शुभारंभ –

कार्यक्रम का शुभारंभ पुरोहितों द्वारा किए गए स्वस्थिवचन और शंखनाद से किया गया। मंच पर अतिथियों ने भारतमाता और भगवान बलदाऊ की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन किया गया।

कार्यक्रम में राज्‍य सभा सांसद श्रीमती सुमित्रा बाल्मिक, सांसद श्री आशीष दुबे, महापौर श्री जगत बहादुर सिंह अन्‍नू, विधायक श्री अजय विश्‍नोई, श्री अशोक रोहाणी, डॉ. अभिलाष पांडे, श्री संतोष बरकड़े, श्री नीरज सिंह, जिला पंचायत अध्‍यक्ष श्रीमती आशा मुकेश गोटिया, भाजपा नगर अध्‍यक्ष श्री रत्‍नेश सोनकर, ग्रामीण अध्‍यक्ष श्री राजकुमार पटेल, नगर निगम अध्‍यक्ष श्री रिकुंज विज मंचासिन थे। कार्यक्रम का संचालन पूर्व जिला अध्यक्ष श्री सुभाष तिवारी रानू ने एवं आभार ग्रामीण जिला अध्यक्ष श्री राजकुमार पटेल ने व्यक्त किया।

इस अवसर पर कृषि विश्वविद्यालय कुलगुरु श्री पी के मिश्रा, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय कुलगुरू श्री राजेश कुमार वर्मा, किसान संघ के प्रांत संगठन मंत्री श्री भरत पटेल, श्रीमती नंदनी मरावी, श्री विनोद गौंटिया, हरेंद्रजीत सिंह बब्बू, नीलेश अवस्थी, शिव पटेल, ओमप्रकाश पटेल, रामप्रकाश गर्ग, पंकज दुबे, राजेश दाहिया, रजनीश यादव, राजेश राय, अभिनव यादव, अरविंद पटेल सहित जिले के प्रगतिशील किसान मौजूद थे।

सुंदरलाल बर्मनhttps://majholidarpan.com/
Sundar Lal barman (41 years) is the editor of MajholiDarpan.com. He has approximately 10 years of experience in the publishing and newspaper business and has been a part of the organization for the same number of years. He is responsible for our long-term vision and monitoring our Company’s performance and devising the overall business plans. Under his Dynamic leadership with a clear future vision, the company has progressed to become one of Hindi e-newspaper , with Jabalpur district.

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