गबन और अधिक भुगतान के मामले में स्थानीय निधि संपरीक्षा कार्यालय के दो अधिकारी निलंबित
जबलपुर
क्षेत्रीय कार्यालय स्थानीय निधि संपरीक्षा, जबलपुर में हुये अधिक भुगतान और गबन के मामले में संभागायुक्त श्री अभय वर्मा एवं कलेक्टर श्री दीपक सक्सेना ने कार्यवाही कर इस कार्यालय में पदस्थ दो अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। वहीं इस मामले के मुख्य आरोपी कार्यालय के सहायक ग्रेड तीन को संचालनालय स्थानीय निधि संपरीक्षा भोपाल द्वारा निलंबित किया गया है।
संभागायुक्त श्री अभय वर्मा ने इस मामले में स्थानीय निधि संपरीक्षा के क्षेत्रीय कार्यालय में पदस्थ सहायक संचालक श्रीमती प्रिया विश्नोई को तथा कलेक्टर श्री दीपक सक्सेना ने इस कार्यालय की ज्येष्ठ संपरीक्षक श्रीमती सीमा अमित तिवारी को निलंबित किया है। दोनों अधिकारियों के निलंबन की यह कार्यवाही सौपें गये कर्त्तव्यों को गंभीरता से न लेने तथा कार्य संपादन में लापरवाहीपूर्ण रवैया अपनाने पर की गई है। शासकीय कोष को हानि पहुँचाने, गबन और अधिक भुगतान के इस प्रकरण के मुख्य आरोपी स्थानीय निधि संपरीक्षा के क्षेत्रीय कार्यालय में पदस्थ सहायक ग्रेड-तीन संदीप शर्मा का निलंबन संचालनालय स्थानीय निधि संपरीक्षा, भोपाल द्वारा किया गया है।
ज्ञात हो कि स्थानीय निधि संपरीक्षा के क्षेत्रीय कार्यालय में अधिक भुगतान और गबन के प्रकरण प्रकाश में आते ही इसकी जाँच के लिये समिति गठित की गई थी। समिति की प्रारंभिक जाँच में स्पष्ट हुआ कि कार्यालय के आहरण संवितरण अधिकारी के अंतर्गत तैयार किये गये पे-रोल मॉड्यूल की हायरार्की में क्रियेटर के रूप में सहायक ग्रेड-तीन संदीप शर्मा क्रियेटर का, ज्येष्ठ संपरीक्षक श्रीमती सीमा तिवारी वेरिफायर का एवं सहायक संचालक श्रीमती प्रिया विश्नोई अप्रूवर के दायित्वों का निर्वहन कर रहे थे।
प्रांरभिक जांच में पाया गया कि त्रुटिपूर्ण पे-रोल बनाने एवं बिना सुसंगत रूप से जाँच किये भुगतान हेतु उसे अग्रेषित किये जाने के कारण सहायक ग्रेड-तीन संदीप शर्मा को वेतन के तौर पर फरवरी 2024 से जनवरी 2025 तक 53 लाख 55 हजार रुपये का अधिक भुगतान हुआ है, जबकि उसका मासिक वेतन लगभग 44 हजार रुपये ही है। जाँच में आहरण संवितरण अधिकारी के माध्यम से अवकाश नगदीकरण, समूह बीमा योजना, जीपीएफ और डीपीएफ के अंतिम भुगतान जैसे सेवानिवृत्ति पर मिलने वाले स्वत्वों के देयकों को कूट रचित दस्तावेज संलग्न कर कोषालय में भुगतान हेतु अग्रेषित किया जाना तथा अनाधिकृत व्यक्तियों को इनका भुगतान किया जाना भी पाया गया। ये अनाधिकृत व्यक्ति संभवत: प्रकरण में संदिग्ध श्री संदीप शर्मा के मित्र अथवा रिश्तेदार हैं।
प्रारंभिक जाँच में यह तथ्य भी सामने आया कि पे-रोल तैयार किये जाने में क्रियेटर ने गडबडी कर अपने वेतन में अधिक राशि अंकित की। जिसे वेरिफायर एवं अप्रूवर स्तर पर बिना जांच अथवा परीक्षण किये त्रुटिपूर्ण पे-रोल को इलेक्ट्रानिक देयक बनाने अग्रेषित किया जाता रहा अथवा वेरिफायर एवं अप्रूवर स्तर पर अपने गोपनीय लॉग-इन आई डी एवं पासवर्ड को संदिग्ध संदीप शर्मा के साथ साझा किया गया है।
गबन और अधिक भुगतान के इस प्रकरण के मुख्य आरोपी क्षेत्रीय कार्यालय स्थानीय निधि संपरीक्षा में पदस्थ सहायक ग्रेड-तीन संदीप शर्मा द्वारा एक सेवानिवृत्त कर्मचारी की मृत्यु का फर्जी प्रमाण पत्र, फर्जी स्वीकृति आदेश लगाकर तथा अन्य फर्जी दस्तावेज जिसमें संयुक्त संचालक के फर्जी हस्ताक्षर कर, सेवानिवृत कर्मचारी की पति के नाम के स्थान पर अपनी स्वयं की मौसी पुनीता का नाम तथा बैंक खाता अंकित कर लगभग 8 लाख 50 हजार रुपये का अर्जित अवकाश नगदीकरण तैयार किया गया था।
इसी प्रकार संदीप शर्मा द्वारा स्वयं का वेतन जो 44 हजार रुपये होता है, बिल में पीपी कॉलम में 4 लाख रुपये बढाकर लगभग एक वर्ष से 44 हजार रुपये के स्थान पर 4 लाख 44 हजार रुपये प्रतिमाह की दर से आहरण किया जा रहा है। इस प्रकार प्रारंभिक रूप से दर्शित लगभग 55 लाख रुपये का गबन किया गया। सहायक ग्रेड-तीन द्वारा पेरोल मॉड्यूल एवं आरएनडी मोड्यूल में स्वयं के आईडी से फर्जी आदेश, कूटरचित दस्तवेजों के आधार पर फर्जी देयक, फर्जी एरियर देयक, तथा स्वयं के वेतन में पीपी कॉलम में राशि अंकित कर स्वयं एवं रिश्तेदारों के खातो में राशि ट्रांस्फर कर गबन का कार्य वर्ष 2022-23 से किया जा रहा था।