नई दिल्ली,ईएमएस। एग्जिट पोल के सर्वे गुजरात में भले आम आदमी पार्टी को बहुत कम सीट दे रहे हैं पर कांग्रेस और बीजेपी के लिए खतरे की घंटी जरूर सुना रहे हैं
गुजरात
आम आदमी पार्टी के मुखिया गुजरात की जनसभाओं में यह लिखकर देते थे कि गुजरात में उनकी सरकार बन रही है पर ऐसा नहीं हो सका, लेकिन पार्टी को जितनी वोट शेयरिंग मिल रही है उसे आम आदमी पार्टी की सफलता को हल्के में नहीं लेना चाहिए.
सभी एग्जिट पोल में भले पार्टी को मिलने वाली सीटों की संख्या कम मिल रही हैं पर सभी ने वोट का शेयर संतोषजनक बताया है. आजतक के अनुमान अगर सही होते हैं पार्टी को 20 प्रतिशत के करीब राज्य में वोट मिलता है तो यह कांग्रेस और बीजेपी के खतरे की घंटी है. दरअसल आम आदमी पार्टी के ग्रोथ का सूचकांक गुजरात में उसी तरह है जैसे दिल्ली और पंजाब में रहा है. पार्टी धीरे-धीरे इन स्थानों पर अपनी मजबूत पकड़ बना ली है.
दिल्ली में कई कोशिशों के बावजूद बीजेपी जैसी संसाधनों से मजबूत पार्टी को भी एमसीडी चुनावों में भारी असफलता हाथ लगती दिख रही है. जिन जगहों पर आदमी पार्टी जगह बना रही है वहां सबसे अधिक दुर्गति कांग्रेस की ही होती है. पंजाब और दिल्ली में कांग्रेस को समाप्त करने के बाद आदमी पार्टी गुजरात मे भी कांग्रेस को मटियामेट करने पर उतारू है. दिल्ली में एमसीडी चुनावों के एग्जिट पोल और गुजरात के एग्जिट पोल में एक बात साफ हो गई है कि कांग्रेस के वोट बैंक विशेषकर मुस्लिम वोटों पर आम आदमी पार्टी का कब्जा बढता जा रहा है.
गुजरात में महंगी बिजली से किसान और व्यापारी दोनों परेशान हैं. किसानों और व्यापारियों की ओर से सस्ती बिजली की मांग लगातार हो रही थी. तो क्या इसे केजरीवाल के दिल्ली मॉडल की सफलता की शुरूआत मान सकते हैं. केजरीवाल ने लगातार अपने चुनावी सभाओं में गुजरात में स्कूली शिक्षा के गिरते स्तर और मजबूत स्वास्थ्य सुविधाओं की बात की है.
राहुल गांधी की जोर-शोर से चल रही भारत जोड़ो यात्रा का भी कोई असर दिखता नजर नहीं आ रहा है. इस यात्रा के चलते ही राहुल गांधी गुजरात चुनावों से लगभग दूर ही रहे. प्रियंका की ओर से भी उतनी मेहनत नहीं की गई जितनी उनसे उम्मीद की गई थी. पड़ोसी राज्य राजस्थान में गहलोत और पाइलट की फाइट पर नियंत्रण न कर पाना भी पार्टी के प्रति लोगों का भरोसा खोने का कारण बना जो अंतत: आम आदमी पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हुआ है.