रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में आज 35वें दीक्षांत समारोह का गरिमामय आयोजन किया गया।
जबलपुर
दीक्षांत भाषण में राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि विद्यार्थी को शिक्षा के साथ संस्कृति का ज्ञान होना आवश्यक है। आज का युवा संस्कारवान हो इसके लिए शिक्षण संस्थानों को अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। दीक्षांत प्रत्येक वि़द्यार्थी के जीवन का स्वप्न होता है। वास्तविक ज्ञान वो है, जो आचार व्यवहार में परिलक्षित हो। विद्यार्थी का सर्वांगीण विकास और चरित्र निर्माण ही भारतीय शिक्षा का उद्देश्य है। साथ ही सभी उपाधिधारकों एवं स्वर्णपदक धारियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि विद्यार्थी आत्मनिर्भरता को मूल मंत्र बनाकर प्रगतिपथ पर आगे बढ़ें। वीरांगना रानी दुर्गावती के 500वीं जयंती के ऐतिहासिक अवसर पर आयोजित 35वें दीक्षांत समारोह में जिन छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक और शोधार्थियों को उपाधियां दी जाएंगी वे विभिन्न क्षेत्रों में नामवर होंगे, इसकी शुभकामना के साथ बधाई। दीक्षांत समारोह के प्रारंभ में राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री पटेल तथा कुलपति प्रो. कपिल देव मिश्र, कुलसचिव डॉ. दीपेश मिश्रा, सभी संकायाध्यक्ष एवं कार्यपरिषद सदस्यगणों की मौजूदगी में कुलपति कार्यालय से वैदिक मंत्रोच्चार के बीच दीक्षांत शोभा यात्रा आरंभ होकर पं. कुंजीलाल दुबे प्रेक्षागृह पहुंची।
कुलपति प्रो. कपिल देव मिश्र द्वारा स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए विवि की उपलब्धियों को बताते हुए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, रोजगार एवं नवाचारों की जानकारी दी। उन्होने कहा कि यह अत्यंत गौरव का विषय है कि वीरांगना रानी दुर्गावती के 500वीं जयंती के ऐतिहासिक अवसर पर आयोजित 35वें दीक्षांत समारोह में जिन छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक और शोधार्थियों को उपाधियां दी जाएंगी वे विभिन्न क्षेत्रों में नामवर होंगे, इसी शुभकामना के साथ बधाई। दीक्षांत एक सुअवसर है, जिसके साथ आजीविका के क्षेत्र में उतरने का मार्ग प्रशस्त होता है। विश्वविद्यालय की उपाधि अर्जित करके प्रत्येक छात्र-छात्राएं जीवन में प्रगति-पथ पर नव प्रतिमान दर्ज करने की दिशा में गतिमान होने को स्वतंत्र होते हैं। अतएव प्रत्येक अलंकृत छात्र-छात्रा के लिए आज का दिन अविस्मरणीय होता है। दीक्षांत समारोह में मंच से 1 डी.लिट्, 84 पीएच.डी. धारकों को उपाधियां एवं 49 छात्र-छात्राओं को कुल 78 स्वर्णपदक प्रदत्त किये गये।
विवि दीक्षांत समारोह में वर्चुअल माध्यम से जुड़े मुख्य अतिथि डॉ. मोहन यादव, उच्च शिक्षामंत्री मप्र शासन ने अपने ऑनलाईन संदेश में कहा कि यह अत्यंत गौरव का विषय है कि वीरांगना रानी दुर्गावती जिनके नाम पर विश्वविद्यालय संचालित है आज उनकी 500वीं जयंती है। उन्होंने रानी दुर्गावती के अद्भुत शौर्य और पराक्रम का स्मरण करते हुए उनके चरणों में नमन कर कहा कि भारत देश प्राचीन काल से ही आध्यात्मिक ज्ञान एवं दर्शन का गुरू रहा है। हमारे प्रतिभाशाली विद्यार्थी न केवल भारत में विविध क्षे़त्रों में समाज की सेवा कर रहे हैं, अपितु विदेशों में भी जाकर अपने ज्ञान और विज्ञान से देश को गौरान्वित कर रहे हैं।
रादुविवि दीक्षांत समारोह निर्धारित समय में मिनिट टू मिनिट चला। दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय की दीक्षांत स्मारिका पत्रिका का विमोचन अतिथिगणों ने किया। दीक्षांत समारोह में कार्यपरिषद् डॉ. (श्रीमती) संतोष जाटव, श्रीमती कांति रावत मिश्रा, प्रो. विक्रमा प्रसाद पाण्डेय एवं सुश्री सीमा पटेल, संकायाध्यक्ष प्रो. नंदिता सरकार, प्रो. विवेक मिश्रा, प्रो. पी.के. खरे, प्रो. प्रियव्रत शुक्ल, प्रो. एस.एन. बागची, प्रो. दिव्या चंसोरिया, प्रो. विशाल बन्ने, प्रो. जे.के. मैत्रा, वित्त नियंत्रक श्री सुरेश कतिया, अधिष्ठाता महाविद्यालयीन विकास परिषद् प्रो. राकेश बाजपेई, प्रो. एन.जी. पेण्डसे, आयोजन समन्वयक प्रो. एस.एस. संधु, प्रो. दिव्या बागची, प्रो. ममता राव, प्रो. धीरेन्द्र पाठक, डॉ. अश्विनी जायसवाल, डॉ. देवीलता रावत, सहायक कुलसचिव श्रीमती सुनीता देवड़ी, सुश्री मिनाल गुप्ता, डॉ. आर.के. गुप्ता, डॉ. रजनी शर्मा आदि मौजूद रहे।
ये भी रहे उपस्थित-
पं. कुंजीलाल दुबे प्रेक्षागृह में जेएनकेविवि के कुलपति प्रो. पी.के. मिश्रा, म.प्र. लोक सेवा आयोग के पूर्व चेयरमेन प्रो. एस.पी. गौतम एवं उप महाधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट श्री वीर विक्रांत सिंह सहित नगर के गणमान्य नागरिक एवं मीडिया जगत के लोग उपस्थित रहे।