सिपरी सॉफ्टवेयर की माध्यम से किया गया है अमृत सरोवरों का स्थल चयन
कटनी –
जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत जिले में करीब 4 करोड़ 30 लाख रूपये की लागत से 18 अमृत सरोवर निर्माणाधीन है। इनमें से कुछ पूर्ण हो गये हैं और कुछ का कार्य पूर्णता की ओर है। इन अमृत सरोवरों का स्थल चयन वैज्ञानिक पद्धति से सिपरी साफ्टवेयर की मदद से किया गया है।
बारिश की बूँदों को सहेजने के लिए बन रहे सभी अमृत सरोवर मानसून की पहली बारिश में ही पानी से लबालब हो गए हैं। इन अमृत सरोवरों के निर्मित होने से जहां आस-पास के भू-जल स्तर में इजाफा होगा। वहीं अमृत सरोवरों से लगी हुई जमीन के किसानों के सैकड़ों एकड़ भूमि भी सिंचित हो सकेगी। इसके अलावा अमृत सरोवर का जल लोगों के रोजमर्रा के निस्तार और वन्य प्राणियों व मवेशियों की प्यास बुझाने में भी उपयोगी साबित होगा।
टिकरिया अमृत सरोवर
विकासखंड ढीमरखेड़ा के ग्राम पंचायत अंतर्वेद में टिकरिया ग्राम में बना 24 लाख रूपये की लागत से बना अमृत सरोवर में पहली बारिश में ही पर्याप्त पानी बह गया है। जिस स्थल चयन कुछ इस प्रकार किया गया है कि टिकरिया गांव से लगे पहाड़ो से बारिश का पानी दो नालों के जरिए हर साल बह जाता था। लेकिन अब व्यर्थ बह जाने वाला पानी अमृत सरोवर में संरक्षित होगा और बारहमासी पानी की उपलब्धता रहेगी।
दादर सिंहुड़ी में जनसहयोग से बना तालाब
विकासखंड ढीमरखेड़ा के जनजातीय बाहुल्य ग्राम दादर सिहुड़ी में ग्रामीणों की जनभागीदारी और मानव जीवन विकास समिति के संयोजन से बना तालाब भी पानी से लबालब भर गया है। पर्यावरणविद् एवं समिति के सचिव निर्भय सिंह ने बताया कि समिति द्वारा 85 हजार रूपये की लागत से दादर सिहुड़ी के तालाब का नवीनीकरण किया गया है। जिसमें ग्राम पंचायत द्वारा ट्रैक्ट्रर का सहयोग मिला । इसके अलावा मेढ़ बंधान के कार्य में 30 ग्रामीणों ने एक सप्ताह तक श्रमदान किया। दादर सिहुड़ी में उपलब्ध यह एक मात्र तालाब है जो गर्मी के दिनों में मवेशियों और लोगों की रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करता है।
क्या है सिपरी सॉफ्टवेयर एवं प्लानर ऐप
जिला पंचायत के सीईओ श्री शिशिर गेमावत ने बताया कि सिपरी (सॉफ्टवेयर फॉर आइडेंटीफिकेशन एंड प्लानिंग ऑफ रूरल इन्फ्रास्ट्रक्चर) सॉफ्टवेयर एक उन्न्त तकनीक का सॉफ्टवेयर है, जिसे महात्मा गांधी नरेगा, मध्यप्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद, भोपाल द्वारा एमपीएसईडीसी और इसरो के सहयोग से तैयार कराया गया है। इस साफ्टवेयर का मुख्य उद्देश्य जल संरक्षण के लिए उपयुक्त स्थलों की सटीक पहचान कर गुणवत्तापूर्ण संरचनाओं का निर्माण सुनिश्चित करना है। साथ ही यह भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) आधारित वैज्ञानिक पद्धतियों से जल सरंचना स्थलों के चयन को अधिक सटीक बनाता है।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के मनरेगा परिषद द्वारा एक प्लानर ऐप बनाया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य है मनरेगा के उद्देश्यों एवं प्रावधानों का पालन कराते हुए कार्ययोजना को आसान तरीके से बनाया जाना। ऐप के माध्यम से ग्राम पंचायत स्तर पर लिए जाने वाले कार्यों की वार्षिक कार्ययोजना तैयार की जाती है। मध्यप्रदेश इस तरह का नवाचार करने वाला देश का पहला राज्य है।