अरहम योग प्रणेता रामकथा वाचक मुनि श्री प्रणाम्य सागर महाराज जी एवं मुनि श्री चंद्र सागर महाराज जी का खितौला नगर हुआ आगमन
खितौला जैन समाज के पुरषों, महिलाओं एवं नवयुवकों द्वारा रेलवे स्टेशन के पास मंगल कलश एवं चंवर दुराकर गाजे बाजे के साथ भव्य आगवानी की गई।
इस अवसर पर सिहोरा, कुम्ही,गोसलपुर,पनागर,दरसानी,इत्यादि के समाजजन की उपस्थिति रही। पूरे खितौला नगर को गुब्बारे वा रंगोली से सजाया गया।महिलाओं ने मंदिर के सामने मंगलकलश वा आरती उतारकर आगवानी की।मुनिवर ने परस्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर मे विराजित भगवान पारसनाथ के दर्शन किए।मुनि श्री प्रणाम्य सागर जी ने प्रातः कालीन सभा में मंदिर वा मूर्ती की भूरी भूरी प्रसंशा वा सराहना की एवं कहा इस मंदिर में विराजित भगवान पारसनाथ की मूर्ति के सभी लोग दर्शन कर अपनी कर्मो की निर्जरा कर सकते हैं।मुनि श्री ने अर्हम ध्यान योग की उपयोगिता बताते हुए कहा इस योग से हम अपने जीवन की अनेक समस्याओं एवं बीमारियों का समाधान प्राप्त कर सकते हैं।मुनि द्वारा दोपहर को आयोजित धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए गुरु वा ग्रंथों के माध्यम से अपनी जीवन ज्योति जलाने की बात विस्तार पूर्वक बताई।मुनि श्री ने अपने जीवन में समता भाव लाने की प्रेरणा दी। रामकथा के माध्यम से यह भी बताया की राम को बनवास जाने का आदेश मिलने पर भी उन्होंने समता भाव धारण कर आदर्श प्रस्तुत किया और आज हम सभी के लिए आदर्श पुरुष के रूप में स्थापित है। मुनि श्री ने पुनः अरहम एवं प्राकृत भाषा को अपनाने पर जोर दिया। सभी समाजजन ने अरहम ध्यान योग करने का संकल्प लिया। कार्यक्रम का प्रारंभ आचार्य श्री विद्यासागर जी के चित्र अनावरण दीप प्रज्ज्वलन के साथ साथ मुनिश्री को 25ग्रंथों को भेंट कर किया गया। कार्यक्रम में जैन सामाज के अतिरिक्त जैन समाज की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।