तंगराजू सुपैया को फांसी दिए जाने का विरोध संयुक्त राष्ट्र, सामाजिक कार्यकर्ताओं और परिवार की ओर से किया जा रहा था. इसके बावजूद 45 साल के तंगराजू सुपैया को बुधवार को जेल में फाँसी दे दी गई.
सिंगापुर
सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना था कि तंगराजू सुपैया को कमज़ोर सबूतों के आधार पर सज़ा दी गई और उनको सीमित क़ानूनी मदद मुहैया करवाई गई थी.
सिंगापुर प्रशासन का कहना है कि क़ानून का पालन हुआ है.
प्रशासन ने अदालत के फ़ैसले पर सवाल उठाने वाले कार्यकर्ताओं की आलोचना की है.
सिंगापुर में दुनिया का सबसे कड़ा नशा विरोधी क़ानून है. सिंगापुर के अधिकारियों का कहना है कि ये समाज की सुरक्षा के लिए ज़रूरी है. लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता इस तरह की मौत की सज़ा का विरोध करते रहे हैं.
क्या था आरोप
46 साल के तंगराजू सुपैया को एक किलो गांजा सिंगापुर से मलेशिया पहुंचाने में दोषी पाया गया था.
हालांकि गांजे के साथ उन्हें नहीं पकड़ा गया लेकिन अभियोजन पक्ष का कहना था कि इस पूरी तस्करी का मास्टरमाइंड वही थे. सरकारी वकील का ये भी कहना था कि जो दो मोबाइल नंबर ट्रेस किए गए थे, वे भी तंगराजू के ही थे.
लेकिन तंगराजू का दावा था कि इस मामले से जुड़े अन्य लोगों से उनकी कोई बात नहीं हुई. उनका एक फ़ोन खो गया था और इस बात से भी इनकार किया कि दूसरा फ़ोन उनका था.
बीते साल भी 22 अप्रैल 2022 को एक अन्य ड्रग तस्कर नागेंद्रन धर्मलिंगम को फांसी दे दी गई थी.
नागेंद्रन को तीन चम्मच हिरोइन के साथ पकड़ा गया था और वो 2010 से ही मौत की सज़ा का इंतज़ार कर रहे थे.