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Saturday, June 21, 2025

लोकायुक्त एसपी सूचना का अधिकार अधिनियम धारा 24 एवं धारा 8 का दुरुपयोग करते हुए पाए गए।

लोकायुक्त पुलिस शासकीय कर्मचारियों को गलती करते हुए पकड़ती है परंतु आज राज्य सूचना आयोग मध्यप्रदेश, भोपाल में राज्य सूचना आयुक्त श्री राहुल सिंह ने लोकायुक्त एसपी जबलपुर श्री दिलीप झरबड़े को जानकारी छुपाते हुए पकड़ा

जबलपुर

लोकायुक्त पुलिस से क्या जानकारी मांगी थी
आरटीआई आवेदक कामता प्रसाद मिश्रा पुलिस विभाग में कार्यरत हैं और इन्हे लोकायुक्त पुलिस ने एक भ्रष्टाचार के मामले में ट्रैप किया था। इस प्रकरण में जबलपुर लोकायुक्त पुलिस की ओर से एडीजी लोकायुक्त को केस स्टेटस रिपोर्ट की कॉपी और एक पत्र भेजा गया। कामता प्रसाद मिश्रा ने इसकी जानकारी को लेने के लिए आरटीआई आवेदन जबलपुर लोकायुक्त पुलिस कार्यालय में लगाया था।

सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 24
लोकायुक्त विभाग के एसपी जबलपुर दिलीप झरबड़े द्वारा इस प्रकरण में यह कहते हुए जानकारी देने से मना कर दिया कि जानकारी देने से लोकायुक्त पुलिस को सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 24 के तहत छूट प्राप्त है। वहीं पुलिस ने यह भी कहा कि जानकारी देने से जांच और अभियोजन (prosecution) प्रभावित होगा। साथ ही पुलिस ने जानकारी बाहर आने से शारीरिक हानि का भी खतरा बताते हुए भी जानकारी देने से मना कर दिया था।

RTI अधिनियम की धारा 8 (1) (H) (G)
RTI अधिनियम की धारा 8 (1) (h) मे जांच या अभियोजन प्रभावित होने पर जानकारी रोकने का प्रावधान है। वही धारा 8 (1) G में अगर जानकारी बाहर आने से किसी व्यक्ति को शारीरिक हानि का खतरा रहता तो जानकारी रोकी जाती है। एसपी के जानकारी रोकने निर्णय के विरुद्ध लोकायुक्त पुलिस के अपीलीय अधिकारी के पास कामता प्रसाद मिश्र ने प्रथम अपील लगाई। पर लोकायुक्त पुलिस के प्रथम अपीलीय अधिकारी ने भी इस प्रकरण में कामता प्रसाद मिश्रा को जानकारी देने से मना कर दिया। जिसके बाद कामता प्रसाद मिश्र ने सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया।

आरटीआई अधिनियम की धारा 24 (4)
आरटीआई अधिनियम की धारा 24 (4) के तहत राज्य शासन को किसी भी सिक्योरिटी और इंटेलिजेंस एजेंसी को आरटीआई अधिनियम से बाहर रखने का प्रावधान प्राप्त है। राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने इस प्रकरण में सुनवाई करते हुए राज्य शासन द्वारा आरटीआई में जानकारी देने से छूट देने वाले राजपत्र के आदेश का अध्ययन किया गया। सिंह ने कहा कि राजपत्र में EOW और लोकायुक्त मे चल रही जांच में जानकारी देने पर रोक लगाने पर लिखा है। सिंह ने कहा राजपत्र में जारी नोटिफिकेशन में 3 से 4 बार “चल रहे अन्वेषण” शब्द का जिक्र है। इससे स्पष्ट है कि जिन प्रकरणों में जांच समाप्त हो चुकी है उसमें जानकारी रोकने का उद्देश्य राजपत्र में नहीं है।

RTI ACT- सिक्योरिटी और इंटेलिजेंस एजेंसी कब तक जानकारी रोक सकती है

सूचना आयोग में सुनवाई के दौरान जांच और अभियोजन प्रभावित होने के मुद्दे पर राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने जब लोकायुक्त पुलिस से मांगी गई जानकारी को देने से जांच और अभियोजन कैसे प्रभावित होगा तो लोकायुक्त एसपी कोई जवाब नहीं दे पाए। आयोग द्वारा प्रकरण में एसपी लोकायुक्त जबलपुर से जानकारी ली गयी कि जिस अपराध क्रमांक की जानकारी आवेदक द्वारा ली जा रही है, उसमें चार्जशीट की क्या स्थिति है। तब एसपी ने आयोग को बताया कि प्रकरण में चार्जशीट दायर हो चुकी है। सिंह ने कहा कि प्रकरण में चार्जशीट दायर होने के उपरांत और जाँच खत्म होने के बाद जाँच और अभियोजन में अड़चन पड़ने की गुंजाईश नहीं रहती है।

जब लोकायुक्त एसपी से पूछा कि ऐसी कौन सी जानकारी है जिसके बाहर आने से इस प्रकरण में किसी व्यक्ति को शारीरिक हानि हो जाएगी तो इस बारे में भी एसपी कोई जानकारी नहीं दे पाए। सिंह ने यह भी कहा अगर लोकायुक्त पुलिस मात्र धारा 24 के तहत जानकारी देने से छूट ली होती तो छूट मिल सकती थी लेकिन लोकायुक्त पुलिस ने जानकारी रोकने के लिए धारा 8 को आधार बनाया और धारा 8 में जानकारी रोकने के प्रावधान के साथ जानकारी देने के भी प्रावधानों का जिक्र है। सिंह ने स्पष्ट किया सिर्फ जानकारी के रोकने के प्रावधान की धारा लिख देने से ही जानकारी को नहीं रोका जा सकता है जानकारी को रोकने का स्पष्ट आधार लोक सूचना अधिकारी को आयोग को बताना होगा।

मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग में बंद कमरे में सुनवाई की
आरटीआई आवेदन में मांगी गई जानकारी के बाहर आने से जांच या अभियोजन प्रभावित कैसे होगी, इस पर एसपी लोकायुक्त दिलीप झरबड़े का पक्ष जानने के लिये सुनवाई के दौरान सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने दिलीप झरबडे को अलग से सुनवाई का मौका दिया।

आरटीआई आवेदक कामता प्रसाद मिश्र को सुनवाई के दौरान कोर्ट रूम से बाहर जाने को कहा गया और बंद कमरे में दिलीप की सुनवाई की गई। ताकि कामता प्रसाद मिश्रा को वह तथ्य नहीं मालूम हो पाए जिससे वे जांच प्रभावित कर पाए। पर दिलीप आयोग के समक्ष कोई भी ऐसा तथ्य जिसके आधार पर या जिसके सामने आने से अभियोजन या जांच प्रक्रिया के प्रभावित होने का अंदेशा हो, प्रस्तुत नहीं कर पाये। ना वे कोई ऐसा तथ्य आयोग को बता पाए जिसके बाहर आने से किसी व्यक्ति को शारीरिक हानि होगी।

आरटीआई एक्ट की धारा 24 एवं 8 का दुरुपयोग
सुनवाई के दौरान कामता प्रसाद मिश्र ने राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह को बताया कि जो जानकारी उन्होंने लोकायुक्त से मांगी थी वही जानकारी उन्हें जबलपुर के लोक अभियोजन कार्यालय से प्राप्त हो चुकी है। सिंह ने इस बात पर लोकायुक्त पुलिस से यह भी पूछा की जब भी जानकारी पूर्व में ही अभियोजन कार्यालय से आवेदक को उपलब्ध हो चुकी है और इससे यह भी स्पष्ट है कि जानकारी के बाहर आने से जांच या अभियोजन प्रभावित नहीं होता है तो फिर आरटीआई आवेदक को परेशान करने की नियत से जानकारी को क्यों रोका गया? इसके बाद सिंह ने कामता प्रसाद मिश्रा को निशुल्क जानकारी उपलब्ध कराने के आदेश जारी कर दिए।

सुंदरलाल बर्मनhttps://majholidarpan.com/
Sundar Lal barman (41 years) is the editor of MajholiDarpan.com. He has approximately 10 years of experience in the publishing and newspaper business and has been a part of the organization for the same number of years. He is responsible for our long-term vision and monitoring our Company’s performance and devising the overall business plans. Under his Dynamic leadership with a clear future vision, the company has progressed to become one of Hindi e-newspaper , with Jabalpur district.

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